अब हम सब मोदी के पीछे नहा धो के पड़ गये हैं । वैसे ही जैसे वी पी
सिंह , राहुल और सचिन के पीछे लगे थे। हमें कोई न कोई तो चाहिए ही , पूजा के लिए।
हम किसी न किसी को तो गॉड बनाते ही हैं , भले ही टेम्परेरी ही हो। और बस हम अपनी
अर्जियोँ की थप्पियाँ लगाने लगते हैं। बस
, फिर वो गॉड चीखता पुकारता रहे , हम अपना राग आलापते रहते हैं.
हम पहले भी करते आए हैं । बुद्ध और महवीर पूरी जिन्दगी समझाते रहे
प्राप्तियों का कोई मतलब नहीं है। हमने बोलियाँ लगा लगा कर उन्ही की सोने की बड़ी
ब़ड़ी मूर्तियाँ खड़ी कर दी है।
हमारी पुरानी आदत है पक्की और ठाठ है।
हम भगवान की नहीं सुनते उसको अपनी सुनाते हैं। कम्फर्टेबल लगता है तो
भगवान बदल देते हैं।